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जनलोकपाल के लिए पिछले एक साल जो अन्ना टीम ने लोगों के दिलों के जगह बना ली थी, वह टीम भंग हो चुकी है. साथ ही टीम अन्ना की कोर कमेटी भी समाप्त हो गई. इसके पीछे मुख्य मकसद यह है कि जल्द से जल्द एक राजनैतिक पार्टी का गठन किया जाए. 2014 आम चुनाव के लिए फंड की कैसे व्यवस्था की जाए उस पर विचार करना आदि. टीम अन्ना की इस तत्परता को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये पूरे लावलश्कर के राजनीति के अखाड़े में कूदने का मन बना चुके है.
यदि टीम अन्ना राजनीति पार्टी खड़ी करके चुनाव लड़ती है तो पहले से ही अखाड़े में मौजूद दलों की क्या स्थिति होगी इस बात को भारतीय जनता पार्टी से बेहतर कोई नहीं बता सकता. टीम अन्ना द्वारा राजनीति पार्टी खड़ी करने पर यदि कोई सबसे ज्यादा नाराज है तो वह भारतीय जनता पार्टी. उनकी नाराजगी वाजिब है क्योकि कांग्रेस के खिलाफ जो अन्ना टीम ने देश में माहौल खड़ा किया था उस समय यही माना जाता था कि भारतीय जनता पार्टी 2014 में एक मजबूत विकल्प के रूप में सत्ता में आएगी लेकिन स्वयं अन्ना टीम द्वारा राजनीति विकल्प दिए जाने पर भाजपा की सारी पूर्व योजनाओं पर पानी फिर गया.
भाजपा जो कभी टीम अन्ना के आंदोलन को जनहित का आंदोलन समझती थी आज वही भाजपा टीम अन्ना के राजनीति विकल्प दिए जाने पर टीम अन्ना पर आरोप लगा रही है कि यह जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. वह दबे मूंह से उनका स्वागत तो कर रही है लेकिन अंदर ही अंदर घूंट रही है. आज अपने घर की कलह से परेशान भाजपा की स्थिति धोबी के कुत्ते की तरह है वह न तो टीम अन्ना के राजनीति विकल्प का विरोध कर सकती है और न ही उसका समर्थन.
आने वाले आम चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को दो तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. एक तो कैसे अपने घर के कलह को दूर किया जाए, दूसरे जो काम कांग्रेस के खिलाफ टीम अन्ना का आंदोलन कर रही थी उस आंदोलन को कैसे दो सालों के अंदर अपने पक्ष में किया जाए.
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